Alone shayari in hindi

Alone shayari in hindi



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 कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी, 

 हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है। 

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 एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछ 

 कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी। 

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 दिल गया तो कोई आँखें भी ले जाता, 

 फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखूँ। 

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 कभी जब गौर से देखोगे तो इतना जान जाओगे, 

 कि तुम्हारे बिन हर लम्हा हमारी जान लेता है। 

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 कोई रफ़ीक़ न रहबर न कोई रहगुज़र, 

 उड़ा के लाई है किस शहर में हवा मुझको। 

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 जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, 

 ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, 

 हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही, 

 फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था। 

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Aansoo shayari hindi


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 तुम जब आओगे तो खोया हुआ पाओगे मुझे, 

 मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं, 

 मेरे कमरे को सजाने कि तमन्ना है तुम्हें, 

 मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं। 

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 ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तों, 

 जिसको कोई मिल गया वो और तन्हा हो गया। 

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 सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का, 

 मैं एक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता। 

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 एक उम्र है जो तेरे बगैर गुजारनी है, 

 और एक लम्हा भी तेरे बगैर गुजरता नहीं। 

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 कमाल का ताना देती है ये दुनिया मुझे, 

 अगर वो तेरा है तो तेरे पास क्यों नहीं। 

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 तुम क्या गए कि वक़्त का अहसास मर गया, 

 रातों को जागते रहे और दिन को सो गए। 

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dhoka shayari in hindi


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 उनसे मुलाक़ात के सिलसिले क्या बन्द हुए, 

 मुद्दतें बीती हैं आईने से रूबरू हुए। 

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 तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे, 

 मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया। 

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 मीठी सी खुशबू में रहते हैं गुमसुम, 

 अपने अहसास से बाँट लो तन्हाई मेरी। 

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 वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा, 

 मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ। 

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 कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे, 

 अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे। 

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heart touching shayari in hindi


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 मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है, 

 मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है। 

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 यूँ तो हर रंग का मौसम मुझसे वाकिफ है मगर 

 रात की तन्हाई मुझे कुछ अलग ही जानती है। 

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 जब से देखा है चाँद को तन्हा, 

 तुम से भी कोई शिकायत ना रही। 

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 मैं हूँ दिल है तन्हाई है, 

 तुम भी जो होते तो अच्छा होता। 

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 चन्द रातों के महकते ख़्वाब, 

 ज़िन्दगी भर की नींद ले गए। 

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 आँखें फूटें जो झपकती भी हों, 

 शब-ए-तन्हाई में कैसा सोना। 

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 शाम खाली है जाम खाली है, 

 ज़िन्दगी यूँ गुज़रने वाली है। 

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 मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा, 

 वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए। 

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 बहुत सोचा बहुत समझा 

 बहुत ही देर तक परखा, 

 कि तन्हा हो के जी लेना 

 मोहब्बत से तो बेहतर है। 

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Alone shayari in hindi



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 अभी ज़िंदा हूँ, लेकिन 

 सोचता रहता हूँ अकेले में, 

 कि अब तक किस तमन्ना के 

 सहारे जी लिया मैंने। 

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 बिछड़ के भी वो रोज 

 मिलता है मुझे ख्वाबों में, 

 अगर ये नींद न होती तो 

 कब के मर गए होते। 

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 कैसे गुजरती है मेरी 

 हर एक शाम तुम्हारे बगैर, 

 अगर तुम देख लेते तो 

 कभी तन्हा न छोड़ते मुझे। 

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 कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे, 

 मुझसे कर लो मोहब्बत मैं तो बेवफा भी नहीं। 

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 एहतियातन देखता चल अपने साए की तरफ, 

 इस तरह शायद तुझे एहसास-ए-तन्हाई न हो। 

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 चला जाऊंगा जैसे खुद को तनहा छोड़ कर, 

 मैं अपने आपको रातों में उठकर देख लेता हूँ। 

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 कभी घबरा गया होगा दिल तन्हाई में उनका, 

 मेरी तस्वीर को सीने से लगा कर सो गए होंगे। 

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 बंद मुट्ठी से याद गिरती है रेत की मानिंद, 

 वो चला गया ज़िन्दगी से ज़र्रा-ज़र्रा कर के। 

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 काश तू समझ सकती मोहब्बत के उसूलों को, 

 किसी की साँसों में समाकर उसे तन्हा नहीं करते। 

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 कुदरत के इन हसीन नजारों का हम क्या करें, 

 तुम साथ नहीं तो इन चाँद सितारों का क्या करें। 

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 कितना भी दुनिया के लिए हँस के जी लें हम, 

 रुला देती है फिर भी किसी की कमी कभी-कभी। 

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 तेरे बगैर इस मौसम में वो मजा कहाँ, 

 काँटों की तरह चुभती है बारिश की बूँदें। 

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 तुम फिर ना आ सकोगे, बताना तो था ना मुझे, 

 तुम दूर जा कर बस गए मैं ढूंढ़ता ही रह गया। 

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 सुबकती रही रात अकेली तनहाइयों के आगोश़ में, 

 और वो काफ़िर दिन से मोहब्बत कर के उसका हो गया। 

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 कभी सोचा न था तन्हाइयों का दर्द यूँ होगा, 

 मेरे दुश्मन ही मेरा हाल मुझसे पूछते हैं। 

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 देख कर चेहरा पलट देते हैं अब वो आइना, 

 मौसम-ए-फुरकत उन्हें सूरत कोई भाती नहीं। 

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 चंद लम्हों के लिए एक मुलाक़ात रही, 

 फिर ना वो तू, ना वो मैं, ना वो रात रही। 

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 रास्ता मुझको दिखाया और ओझल हो गए, 

 आप के रहमो-करम का शुक्रिया कैसे करूँ। 

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 तेरे सहारे मौत से लड़ता रहा ता-ज़िंदगी, 

 क्या करूँ इस ज़िंदगी का मैं बता तेरे बिना। 

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 तन्हाई रही साथ ता-जिंदगी मेरे, 

 शिकवा नहीं कि कोई साथ न रहा। 

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 क्या करेंगे महफिलों में हम बता, 

 मेरा दिल रहता है काफिलों में अकेला। 

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 दिल को आता है जब भी ख्याल उनका, 

 तस्वीर से पूछते हैं फिर हाल उनका। 

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 शाम से आँख में नमी सी है, 

 आज फिर आप की कमी सी है। 

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 कैद में इतना ज़माना हो गया, 

 अब कफस भी आशियाना हो गया। 

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 उसे पाना उसे खोना उसी के हिज्र में रोना, 

 यही गर इश्क है तो हम तन्हा ही अच्छे हैं। 

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 तुम से बिछड़ के कुछ यूँ वक़्त गुज़ारा, 

 कभी ज़िंदगी को तरसे कभी मौत को पुकारा। 

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 अभी अभी वो मिला था हजार बातें कीं, 

 अभी अभी वो गया है मगर ज़माना हुआ। 

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