intezaar shayari in hindi
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ऐ मौत उन्हें भुलाए ज़माने गुजर गए,
आ जा कि ज़हर खाए ज़माने गुजर गए,
ओ जाने वाले आ कि तेरे इंतजार में,
रास्ते को घर बनाए ज़माने गुजर गए।
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रहेगा इश्क़ तेरा ख़ाक में मिला के मुझे,
कि इब्तिदा में हुए रंज इन्तेहाँ के मुझे,
दिए हैं हिज्र में दुःख-दर्द बला के मुझे,
शब-ए-फिराक़ ने मारा है लिटा-लिटा के मुझे।
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दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के,
न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है।
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किन लफ्जों में लिखूँ मैं अपने इंतज़ार को तुम्हें,
बेजुबां है इश्क़ मेरा ढूंढ़ता है खामोशी से तुझे।
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दिन रात की बेचैनी है, ये आठ पहर का रोना है,
आसार बुरे हैं फुरकत में, मालूम नहीं क्या होना है।
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उठा कर चूम ली हैं चंद मुरझाई हुई कलियाँ,
तुम न आये तो यूँ जश्न-ए-बहारां कर लिया मैंने।
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इंतज़ारे-फस्ले-गुल में खो चुके आँखों के नूर,
और बहारे-बाग लेती ही नहीं आने का नाम।
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खुद हैरान हूँ मैं अपने सब्र का पैमाना देख कर,
तूने याद भी ना किया और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा।
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love shayari hindi
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वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी,
इंतज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे।
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आँखों ने जर्रे-जर्रे पर सजदे लुटाये हैं,
क्या जाने जा छुपा मेरा पर्दानशीं कहाँ।
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रक़्स-ए-सबा के जश्न में हम तुम भी नाचते,
ऐ काश तुम भी आ गए होते सबा के साथ।
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न जाने कब का पहुँच भी चुका सर-ए-मंजिल,
वो शख्स जिस का हमें इंतज़ार राह में है।
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उल्फ़त के मारों से ना पूछो आलम इंतज़ार का,
पतझड़ सी है ज़िन्दगी और ख्याल है बहार का।
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romantic shayari in hindi
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हर आहट पर साँसें लेने लगता है,
इंतज़ार भी भला कभी मरता है।
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ये जो पत्थर है आदमी था कभी,
इस को कहते हैं इंतज़ार मियां।
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रात क्या होती है हमसे पूछिए,
आप तो सोये सवेरा हो गया।
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कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है एक रात के लिये।
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वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर,
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिए।
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heart touching shayari in hindi
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हालात कह रहे हैं मुलाकात नहीं मुमकिन,
उम्मीद कह रही है थोड़ा इंतज़ार कर।
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आँखें रहेंगीं शाम-ओ-शहर मुन्तज़िर तेरी,
आँखों को सौंप देंगे तेरा इंतज़ार हम।
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इस शहर-ए-बे-चराग में जाएगी तू कहाँ,
आ ऐ शब-ए-फिराक़ तुझे घर ही लें चलें।
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यकीन है कि न आएगा मुझसे मिलने कोई,
तो फिर ये दिल को मेरे इंतज़ार किसका है।
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कभी किसी का जो होता था इंतज़ार हमें,
बड़ा ही शाम-ओ-सहर का हिसाब रखते थे।
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आँखों के इंतज़ार का दे कर हुनर चला गया,
चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया,
दिन की वो महफिलें गईं रातों के रतजगे गए,
कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया।
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उसी तरह से हर इक ज़ख्म खुशनुमा देखे,
वो आये तो मुझे अब भी हरा-भरा देखे,
गुजर गए हैं बहुत दिन रफाकत-ए-शब में,
इक उम्र हो गई चेहरा वो चाँद-सा देखे।
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intezaar shayari in hindi
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कुछ बातें करके वो हमें रुला के चले गए,
हम न भूलेंगे यह एहसास दिला के चले गए,
आयेंगे कब वो अब तो यह देखना है उम्र भर,
बुझ रही है आग जिसे वो जला कर चले गए।
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मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो,
इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नहीं।
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कासिद पयामे-शौक को देना बहुत न तूल,
कहना फ़क़त ये उनसे कि आँखें तरस गयीं।
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बिखरा पड़ा है तेरे ही घर में तेरा वजूद,
बेकार महफ़िलों में तुझे ढूँढता हूँ मैं।
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एक आरज़ू है अगर पूरी परवरदिगार करे,
मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतज़ार करे।
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निगाहों में कोई भी दूसरा चेहरा नहीं आया,
भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का।
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जान देने का कहा मैंने तो हँसकर बोले,
तुम सलामत रहो हर रोज के मरने वाले,
आखिरी वक़्त भी पूरा न किया वादा-ए-वस्ल,
आप आते ही रहे मर गये मरने वाले।
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झोंका इधर से न आये नसीम-ए-बहार का,
नाज़ुक बहुत है फूल चराग-ए-मज़ार का,
फिर बैठे बैठे वादा-ए-वस्ल उसने कर दिया,
फिर उठ खड़ा हुआ वही रोग इंतज़ार का।
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बस यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
कब लौट के आते हैं छोड़ कर जाने वाले।
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तेरे इंतजार में कब से उदास बैठे हैं,
तेरे दीदार में आँखे बिछाये बैठे हैं,
तू एक नजर हम को देख ले बस,
इस आस में कब से बेकरार बैठे हैं।
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दिल जलाओ या दिए आँखों के दरवाज़े पर,
वक़्त से पहले तो आते नहीं आने वाले।
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तमाम उम्र तेरा इंतज़ार कर लेंगे,
मगर ये रंज रहेगा कि ज़िंदगी कम है।
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उसे भुला दे मगर इंतज़ार बाकी रख,
हिसाब साफ न कर कुछ हिसाब बाकी रख।
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ये इंतज़ार न ठहरा कोई बला ठहरी,
किसी की जान गई आपकी अदा ठहरी।
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ये आँखे कुछ तलाशती रहती हैं,
कोई तो है जिस का इन्हें इंतजार है।
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रात भर जागते रहने का सिला है शायद,
तेरी तस्वीर सी महताब में आ जाती है।
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न कोई वादा न कोई यक़ीं न कोई उम्मीद,
मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था।
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कमाल-ए-इश्क़ तो देखो वो आ गए लेकिन,
वही है शौक़ वही इंतज़ार बाक़ी है।
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ये इंतज़ार सहर का था या तुम्हारा था,
दिया जलाया भी मैंने दिया बुझाया भी।
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मुद्दत हुई पलक से पलक आशना नहीं,
क्या इससे अब ज्यादा करे इंतज़ार चश्म।
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तमाम रात मेरे घर का एक दर खुला रहा,
मैं राह देखता रहा वो रास्ता बदल गया।
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कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे।
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जो तेरी मुंतज़िर थीं वो आँखें ही बुझ गई,
अब क्यों सजा रहा है चिरागों से शाम को।
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कुछ रोज़ यह भी रंग रहा तेरे इंतज़ार का,
आँख उठ गई जिधर बस उधर देखते रहे।
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मुद्दत से ख्वाब में भी नहीं नींद का ख्याल,
हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतज़ार है।
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फिर मुक़द्दर की लकीरों में लिख दिया इंतज़ार,
फिर वही रात का आलम और मैं तन्हा-तन्हा।
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