intezaar shayari in hindi

intezaar shayari in hindi


ज़ख़्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें, हम खुद निशाना बन गए वार क्या करें, मर गए हम मगर खुली रही ये आँखें, इससे ज्यादा उनका इंतज़ार क्या करें।


हमने ये शाम चिरागों से सजा रखी है, आपके इंतजार में पलके बिछा रखी हैं, हवा टकरा रही है शमा से बार-बार, और हमने शर्त इन हवाओं से लगा रखी है।


वो रुख्सत हुई तो आँख मिलाकर नहीं गई, वो क्यों गई यह बताकर नहीं गई, लगता है वापिस अभी लौट आएगी, वो जाते हुए चिराग़ बुझाकर नहीं गई।


तड़पती है आज भी रूह आधी रात को, निकल पड़ते हैं आँख से आँसू आधी रात को, इंतज़ार में तेरे वर्षों बीत गए सनम मेरे, दिल को है आस आएगी तू आधी रात को।


भले ही राह चलतों का दामन थाम ले, मगर मेरे प्यार को भी तू पहचान ले, कितना इंतज़ार किया है तेरे इश्क़ में, ज़रा यह दिल की बेताबी तू भी जान ले।


 

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खुद एक बार उसे यह एहसास दिला दे, कितना इंतज़ार है ज़रा उसे बता दे, हर पल देखते हैं रास्ता उसी का, ना इंतज़ार करना पड़े, मुझे ऐसी नींद सुला दे।


मोहब्बत का इम्तिहान आसान नहीं, प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं, मुद्दतें बीत जाती है किसी के इंतज़ार में, यह सिर्फ पल दो पल का काम नहीं।


फासला मिटा कर आपस में प्यार रखना, हमारा यह रिश्ता हमेशा बरकरार रखना, बिछड़ जाएं कभी आप से हम, आँखों में हमेशा मेरा इंतज़ार रखना।


उस नज़र को मत देखो, जो आपको देखने से इनकार करती है, दुनियां की भीड़ में उस नज़र को देखो, जो सिर्फ आपका इंतजार करती है।


तुम लौट के आओगे हम से मिलने, रोज दिल को बहलाने की आदत हो गयी, तेरे वादे पर क्या भरोसा किया, हर शाम तेरा इंतज़ार करने की आदत हो गयी।


 

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जिस के इक़रार का इंतज़ार था मुझे, जाने क्यों उस से इतना प्यार था मुझे, ऐ ख़ुदा आ ही गया वो हसीं पल, जब उसने कहा तुमसे बहुत प्यार है मुझे।


तेरे इंतज़ार में छोड़ा दुनिया का साथ, तेरे इंतज़ार में छोड़ा अपनों का साथ, जब तुझे जाना ही था तो क्यों दिया वादों का साथ, रह गया अब मैं बस अपने ग़मों के साथ।


तुझे देखना चाहती हूँ हर पल, शायद तुझसे बहुत प्यार करती हूँ, कल तक तो तुझे जानती भी न थी, आज तेरा इंतज़ार करती हूँ।


नज़रों को तेरी मोहब्बत से इंकार नहीं है, अब मुझे किसी का इंतजार नहीं है, खामोश अगर हूँ ये अंदाज है मेरा, मगर तुम ये न समझना कि मुझे प्यार नहीं है।


जान से भी ज्यादा उन्हें प्यार किया करते थे, याद उन्हे दिन रात किया करते थे, अब उन राहों से गुजरा नही जाता, जहाँ बैठ कर उनका इंतज़ार किया करते थे।


कोई क्यों मेरा इंतज़ार करेगा, अपनी जिंदगी मेरे लिए बेकार करेगा, हम कौन से, किसी के लिए ख़ास हैं, क्या सोचकर कोई हमें याद करेगा।

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चाँद सितारों से तेरी बात करते हैं, तनहाईयों में तुझे याद करते हैं, तुम आओ या ना आओ मर्ज़ी तुम्हारी, हम तो हरपल तुम्हारा इंतजार करते हैं।


दिल में इंतज़ार की लकीर छोड़ जायेंगे, आँखों में यादों की नमी छोड़ जायेंगे, ढूंढ़ते फिरोगे हमें हर जगह एक दिन, ज़िन्दगी में ऐसी अपनी कमी छोड़ जायेंगे।


इंतज़ार तो बहुत था हमें, लेकिन आये ना वो कभी, हम तो बिन बुलाये ही आ जाते, अगर होता उन्हें भी इंतज़ार कभी।


ये कह कह के हम दिल को समझा रहे है कि वो अब चल चुके,वो अब आ रहे है।


नादान इनकी बातो का एतबार ना कर, भूलकर भी इन जालिमो से प्यार ना कर, वो क़यामत तक तेरे पास ना आयेंगे, इनके आने का तू इन्तजार ना कर।


तेरे बिना कैसे मेरी गुजरेंगी ये रातें, तन्हाई का गम कैसे सहेंगी ये रातें, बहुत लम्बी है ये घड़ियाँ इंतज़ार की, करबट बदल-बदल कर काटेंगी ये रातें।


ख़्वाबों में जीने की जब आदत पड़ जाती है, हक़ीक़त की दुनिया तब बे-रंग नज़र आती है, कोई इंतज़ार करता है मोहब्बत का, तो किसी की मोहब्बत इंतज़ार बन जाती है।


ये जो पलकों पे है खुमार आप का, हाँ इसी को कहते हैं इंतज़ार यार का।


उनका वादा है कि वो लौट आयेंगे, इसी उम्मीद पर हम जिये जायेंगे, ये इतंजार भी उन्ही की तरह प्यारा है, कर रहे थे कर रहे हैं और किये जायेंगे। 


intezaar shayari in hindi


रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है


मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया, इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।


हुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ


नए किरदार आते जा रहे हैं मगर नाटक पुराना चल रहा है


रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है


मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी


बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए


बोतलें खोल कर तो पी बरसों आज दिल खोल कर भी पी जाए


मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए


शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे


सूरज सितारे चाँद मिरे सात में रहे जब तक तुम्हारे हात मिरे हात में रहे


कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी ह


दोस्ती जब किसी से की जाए दुश्मनों की भी राय ली जाए


वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया


ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो


ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो


हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते


एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो


घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है


शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए


अजनबी ख़्वाहिशें , सीने में दबा भी न सकूँ ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे ,  कि उड़ा भी न सकूँ


आँख में पानी रखो , होंटों पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो , तरकीबें बहुत सारी रखो


रोज़ तारों को नुमाइश  में , खलल पड़ता हैं चाँद पागल हैं , अंधेरे में निकल पड़ता हैं


अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते


बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ


बोतलें खोल कर तो पी बरसों आज दिल खोल कर भी पी जाए

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