sad shayari in hindi

sad shayari in hindi



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 उस शख्स का ग़म भी कोई सोचे, 

 जिसे रोता हुआ ना देखा हो किसी ने। 

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 उस गली में हजार ग़म टूटा, 

 आना जाना मगर नहीं छूटा। 

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 मोहब्बत उसे भी बहुत है मुझसे, 

 ज़िंदगी सारी इस वहम ने ले ली। 

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 ग़म की तशरीह बहुत मुश्किल थी, 

 तो अपनी तस्वीर दिखा दी मैंने। 

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dard shayari in hindi


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 रंजो-ग़म इश्क के गुजर भी गए, 

 अब तो वो दिल से उतर भी गए। 

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 ना मिलता ग़म तो बर्बादी के अफसाने कहाँ जाते, 

 चमन होती अगर दुनिया... तो वीराने कहाँ जाते, 

 चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई ग़ैर तो निकला, 

 सभी होते अगर अपने ही तो बेगाने कहाँ जाते। 

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 ऐसा नहीं के तेरे बाद अहल-ए-करम नहीं मिले, 

 तुझ सा नहीं मिला कोई, लोग तो कम नहीं मिले, 

 एक तेरी जुदाई के दर्द की बात और है, 

 जिनको न सह सके ये दिल, ऐसे तो ग़म नहीं मिले। 

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 बिक गये जब तेरे लब तुझको क्या शिकवा अगर, 

 ज़िंदगी बादा-ओ-सागर में बहलाई गई, 

 ऐ ग़मे-दुनिया तुझे क्या इल्म तेरे वास्ते, 

 किन-किन बहानों से तबियत राह पर लाई गई। 

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yaad shayari in hindi


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 हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले, 

 न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले, 

 है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें, 

 तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दग़ी से पहले। 

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 माना कि ग़म के बाद मिलती है मुस्कराहटें, 

 लेकिन जियेगा कौन... तेरी बेरुखी के बाद। 

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 ज़िंदगी लोग जिसे मरहम-ए-ग़म जानते हैं, 

 किस तरह हमने गुजारी है हम ही जानते हैं। 

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 ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वरना, 

 थी आरज़ू कि तेरे दर पे सुबह-ओ-शाम करें। 

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 उम्मीद थी कि इस ग़म का मदावा हो ही जाएगा, 

 मगर अफसोस कि पहली मोहब्बत आखिरी निकली। 

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 किसी के जख़्म तो किसी के ग़म का इलाज़, 

 लोगों ने बाँट रखा है मुझे दवा की तरह। 

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 इक शामे-ग़म को सुबहे-मसर्रत न मिल न सकी, 

 कितने ही आफताब चढ़े और ढल गये। 

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dhoka shayari in hindi


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 देख कर उसको अक्सर हमें एहसास होता है, 

 कभी कभी ग़म देने वाला भी बहुत खास होता है, 

 ये और बात है वो हर पल नहीं होता पास हमारे, 

 मगर उसका दिया ग़म अक्सर हमारे पास होता है। 

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 कुछ लुटकर कुछ लुटाकर लौट आया हूँ, 

 वफ़ा की उम्मीद में धोखा खाकर लौट आया हूँ, 

 अब तुम याद भी आओगे फिर भी न पाओगे, 

 हँसते लबों से सारे ग़म छुपाकर लौट आया हूँ। 

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 तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर हैं कि मर जायें, 

 वही आँसू, वही आहें, वही ग़म है जिधर जायें, 

 कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता, 

 वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जायें जिधर जायें। 

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 शिकायत क्या करूँ दोनों तरफ ग़म का फसाना है, 

 मेरे आगे मोहब्बत है तेरे आगे ज़माना है, 

 पुकारा है तुझे मंजिल ने लेकिन मैं कहाँ जाऊं, 

 बिछड़ कर तेरी दुनिया से कहाँ मेरा ठिकाना है। 

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 न हारा है इश्क न दुनिया थकी है, 

 दिया जल रहा है हवा चल रही है, 

 सुकून ही सुकून है खुशी ही खुशी है, 

 तेरा ग़म सलामत मुझे क्या कमी है। 

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 कौन अंदाजा मेरे ग़म का लगा सकता है, 

 कौन सही राह दिखा सकता है, 

 किनारे वालो तुम उसका दर्द क्या जानो, 

 डूबने वाला ही गहराई बता सकता है। 

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 किसी ने जैसे कसम खाई हो सताने की, 

 हमीं पे खत्म हैं सब गर्दिशें जमाने की, 

 सुकून तो खैर हमें नसीब क्या होगा, 

 कहो अभी भी हिम्मत है ग़म उठाने की। 

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 हमने सोचा कि दो चार दिन की बात होगी लेकिन, 

 तेरे ग़म से तो उम्र भर का रिश्ता निकल आया। 

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 खुशियों की चाह थी वहां बे-हिसाब ग़म निकले, 

 बेवफा तू नहीं सनम बद-नसीब तो हम निकले। 

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 कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक उसका ग़म होगा, 

 मेरे जैसा यहाँ कोई न कोई रोज़ कम होगा। 

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sad shayari in hindi



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 एक किरन भी तो नहीं ग़म की अंधेरी रात में, 

 कोई जुगनू कोई तारा कोई आँसू कुछ तो होता। 

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 क्या जरूरत क्यों जफाएं बागबां तेरी सहें, 

 जा तुझे गुलशन मुबारक मुझको वीराने बहुत। 

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 सुकून न दे सकीं राहतें ज़माने भर की, 

 जो नींद आई तेरे ग़म की छाँव में आई। 

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 अब तो मेरी आँख में एक अश्क भी नहीं, 

 पहले की बात और थी ग़म था नया नया। 

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 रखे हैं दिल में हमने बड़े एहतराम से, 

 जो ग़म दिए हैं तुमने मोहब्बत के नाम से। 

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 ऐ ज़ब्त-ए-इश्क़ और ना ले इम्तिहान-ए-ग़म, 

 मैं रो रहा हूँ नाम किसी का लिये बगैर। 

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 माजी की याद, आज का ग़म, कल की उलझनें, 

 सबको मिलाइए मेरी तस्वीर बन गई। 

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 मेरे ग़मख्वार मेरे दोस्त तुझे क्या मालूम, 

 जिन्दगी मौत के मानिन्द गुजारी मैंने। 

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 अब तू ही कोई मेरे ग़म का इलाज कर दे, 

 तेरा ग़म है तेरे कहने से चला जायेगा। 

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 दुनिया ने ग़म हजार दिए लेकिन ऐ दोस्त, 

 मैंने हर एक ग़म को हँसी में उड़ा दिया। 

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 ग़म-ए-इश्क का मारा हूँ मुझे न छेड़ो, 

 जुबां खुलेगी तो लफ़्ज़ों से लहू टपकेगा। 

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 मुस्कुराने की अब वजह याद नहीं रहती, 

 पाला है बड़े नाज़ से मेरे गमों ने मुझे। 

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 कौन रोता है किसी और की खातिर ऐ दोस्त, 

 सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया। 

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 शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना, 

 गमों की महफिल भी कमाल जमती है। 

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 तेरी ज़ुल्फों की स्याही से न जाने कैसे, 

 ग़म की ज़ुल्मत मेरी रातों में चली आई है। 

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 इतना भी करम उनका कोई कम तो नहीं है, 

 ग़म दे के वो पूछते हैं कोई ग़म तो नहीं है? 

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 शायद खुशी का दौर भी आ जाए एक दिन, 

 ग़म भी तो मिल गये थे तमन्ना किये बगैर। 

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 हर हाल में हँसने का हुनर पास था जिनके, 

 वो रोने लगे हैं तो कोई बात तो होगी। 

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 ग़म-ए-हयात परेशान न कर सकेगा मुझे, 

 कि आ गया है हुनर मुझ को मुस्कुराने का। 

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 तू नाराज न रहा कर तुझे वास्ता है खुदा का, 

 एक तेरा चेहरा देख हम अपना गम भुलाते है। 

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 सुलगती ज़िन्दगी से मौत आ जाए तो बेहतर है, 

 हमसे दिल के अरमानों का अब मातम नहीं होता। 

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 तेरे हाथ से मेरे हाथ तक का जो फासला था, 

 उसे नापते उसे काटते मेरी सारी उमर गुजर गयी। 

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 तुम्हें पा लेते तो किस्सा कब का खत्म हो जाता, 

 तुम्हें खोया है तो यकीनन कहानी लम्बी चलेगी। 

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 घुटन सी होने लगी है इश्क़ जताते हुए, 

 मैं खुद से रूठ गया हूँ तुम्हें मनाते हुए। 

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 रहा यूँ ही नामुकम्मल ग़म-ए-इश्क का फसाना, 

 कभी मुझको नींद आई कभी सो गया ज़माना। 

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